सुली डील, बुली बाई ऐप से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें नीलाम कर दी गईं । उन तस्वीरो को पहले विकृत तरीके से संपादित किया गया । इसके लिए मुस्लिम महिलाओ , पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों को निशाना बनाकर उन्हे बदनाम किया गया। गिरफ्तार सभी आरोपी नाबालिग हैं। सोशल मीडिया के जरिए हेट कोडिंग सेट की जा रही है और ये नाबालिग उसी के शिकार बन रहे है।
पिछले कुछ सालों में समाज के प्रति नफरत फैलाना बहुत आसान हो गया है। कभी-कभी यह सब सामने होता है, तो कभी फेक अकाउंट या पेज के जरिए। इसके लिए सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट प्रसारित कर भ्रम की स्थिति पैदा की जाती है। आजकल व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से आपके पास जो कुछ भी आता है वह सब असली लगता है। यह झूठ हर जगह इतना वायरल होता है और यही नफरत का कारण बनता है।
कुछ जमातें सोशल मीडिया के जरिए लगातार मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही हैं। नकली चीजें फैलाकर नफरत की कोडिंग की जाती है। इन सब में मुस्लिम महिलाओ को सॉफ्ट टारगेट बनाया जा रहा हैं। खासतौर पर वे जो सरकार की गलत नीतियों और फैसलों के खिलाफ स्टैंड लेते हैं। बुली बाई, सुली डील जैसे ऐप महिलाओं को बदनाम करने की साजिश हैं।
सुली डील का नया वर्जन
Sully Deal ऐप GitHub पर बनाया गया था। 4 जुलाई 2021 को पहली बार सुली डील से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की गईं। सुल्ली, बुल्ली एक मुस्लिम व्यक्ति को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अपमानजनक शब्द हैं। इन शब्दों का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को बदनाम करने के लिए किया जाता है।
सुली डील में जाने के बाद यूजर को 'फाइंड युअर सुली डील ऑफ द डे' पर क्लिक करने को कहा जाता है। जब आप ऐसा करते हैं तो आपको 'सुली डील ऑफ द डे' में एक मुस्लिम महिला की फोटो दिखाई देगी। ये तस्वीरें किसी महिला की सोशल मीडिया अकाउंट से उसकी जानकारी के बगैर ली जाती हैं। ट्विटर पर 'डील ऑफ द डे' लिखकर मुस्लिम महिलाओं को टैग किया जाता है। इन तस्वीरों की नीलामी की जाती थी।
बुली बाई ऐप भी सुली डील की तरह ही काम करता था। यह मुस्लिम महिलाओं कलंकित करने का यह दूसरा वर्जन है। बुली बाई को गिटहब पर बनाया गया था। एक जनवरी को इस ऐप से अलग-अलग इलाकों की मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अचानक अपलोड हो गईं।
मामले को गंभीरता से नहीं लिया
सुली डील की घटना जुलाई में हुई थी। उस वक्त 80 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं के फोटो गलत तरीके से अपलोड किए गए थे। संसद में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। केंद्रीय महिला आयोग ने भी कहा था कि उसने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। मामला दर्ज किया गया था। लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ।
गिटहब के अधिकारी एरिका ब्रेशिया ने उस समय कहा था कि वे सुली डील ऐप को गिटहब से हटा रही है और उसे हटा भी दिया गया। लेकिन पुलिस स्तर पर जांच योजना के मुताबिक नहीं हुई। मुंबई और दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन 5 महीने बाद भी किसी को गिरफ्तार या किसी की पूछताछ नहीं हुई।
मुस्लिम महिलाएं सॉफ्ट टारगेट
इस्मत आरा द वायर की पत्रकार हैं। वे सरकार की गलत नीतियों की आलोचना कर रहे थे। उनकी फोटो भी बुली एप पर पोस्ट की गई थी। उन्होंने दिल्ली पुलिस साइबर सेल में भी शिकायत दर्ज कराई थी। इसी तरह मशहूर रेडियो जॉकी साइमा को भी निशाना बनाया गया था।
ऐप द्वारा इस बुली की लिस्ट में मशहूर एक्ट्रेस शबाना आजमी, राइटर नबिया खान, पत्रकार हिबा बेग का भी नाम था। इसमें पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक महिला नेताओं के नाम थे। ऐसी 100 से अधिक मुस्लिम महिलाओं की सूची तैयार की गई थी। महिलाओं की तस्वीरों को विकृत तरीकेसे बना कर, उन्हे नीलाम किया जा रहा था।
इस्मत आरा, सायमा ने गुस्से में ट्वीट किया। उनका कहना है कि यह अव्यवस्था इसलिए की जा रही है क्योंकि मुस्लिम समुदाय की महिला को विभिन्न मुद्दों पर आवाज उठाने की अनुमति नहीं है।
माइनर ऐप का मास्टरमाइंड
बुली बाई एप के बाद शिकायत दर्ज कराई गई थी। एक तर्क हुआ। इसके खिलाफ शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई लोगों ने आवाज उठाया था। इस्मत आरा ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसलिए केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जांच की घोषणा की। बुली ऐप को तब GitHub से ब्लॉक कर दिया गया था।
बुली बाई मामले में श्वेता सिंह, नीरज बिश्नोई, विशाल झा और मयंक रावल को गिरफ्तार किया गया। इन सभी की उम्र 25 साल से कम है। बुली बाई ऐप का मास्टरमाइंड नीरज बिश्नोई है। वह अभी 21 साल का है और बीटेक सेकेंड ईयर में पढ़ रहा है। विवादित ट्वीट के लिए एक फर्जी अकाउंट भी बनाया गया था। जिसे ट्विटर ने ब्लॉक कर दिया है।
सुल्ली दिल का मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर ठाकुर है। उसे इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। उसने ट्रोल और बदनामी के लिए ट्विटर पर 'ट्रेडिशनलिस्ट' नाम का ग्रुप बनाया था। इसने न केवल मुसलमानों बल्कि दलितों, सिखों और ईसाइयों के खिलाफ भी हिंसा को प्रोत्साहित किया। ओंकारेश्वर इसी समूह के सदस्य थे। बुली बाई ऐप का मास्टरमाइंड नीरज , ओंकारेश्वर ठाकुर के संपर्क में है,ऐसा उन्होंने पुलिस जांच में कहा है।
युवाओं में नफरत के बीज बो रहे हैं
मास्टरमाइंड के सारे आरोपी ज्यादातर 25 साल से कम आयु वाले युवा है। उत्तराखंड की श्वेता सिंह 18 साल की हैं। उसकी माँ की कैंसर से मृत्यु हो गई, और उसके पिता की कोरोना से मृत्यु हो गई। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। खास बात यह है कि श्वेता सिंह के ट्विटर अकाउंट से बुली बाई एप पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की गईं।
दोनों ही मामलों में आरोपी नाबालिग है लेकिन इसके पीछे किसिना किसी बड़े का हाथ जरूर है , ऐसा संदेह मुंबई पुलिस ने जाहिर किया है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले ने कहा है कि ऐप मुस्लिम महिलाओं को बदनाम करने के लिए बनाया गया था। इसके अलावा, इस मसले को खालिस्तानियों से जोड़के हिंसा और नफरत फैलाने की योजना थी।
समाज में दरार पैदा करने के लिए इन बच्चों के कंधों पर बंदूकें रखी गई थीं। पिछले कुछ सालों में मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत फैल रही है। ये सब सोशल मीडिया के जरिए फर्टिलाइज किया जा रहा है। अलग-अलग संगठन इस नफरत को बो रहे हैं। युवाओ को भड़काया जाता है। दोनों ही मामलों में मिले मास्टरमाइंड इसी के शिकार बने हैं।
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